उद्देश्य
समाज की सर्वांगीण उन्नति करना यह लक्ष्य हमारे सामने है। सम्पूर्ण सृष्टि के लिऐ विचार करना यह ‘हिन्दू दृष्टि‘ है। समाज को संघटित, एकरस, समरस, निर्दोष और मूल्याधिष्ठित बनाना यह सेवाकार्य का उद्देश्य है। कर्तव्य भाव से, निःस्वार्थ भाव से यह करना है। यही भाव हमें संपूर्ण समाज में जगाना है। समाज में कोई दुर्बल, पीड़ित, वंचित, शोषित न रहें, ऐसी समाज की स्थिति निर्माण हो। सेवा कार्य के माध्यम से समाज को आत्मनिर्भर बनाना और राष्ट्र की उन्नति में उनका सहभाग ब़ाना यह हमारा उद्देश्य है। वैभव सम्पन्न राष्ट्र यह साध्य है और सेवाकार्य यह साधन है।
सेवा कार्यों की मुख्य भूमिका
आज की तत्कालीन आवश्यकता समाज के उपेक्षित और दुर्बल वर्ग की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की है। यह वर्ग विभिन्न प्रकार के सामाजिक अन्याय और उत्पीड़न से ग्रसित है वहीं राष्ट्र विरोधी शक्तियों के आक्रमण का शिकार भी हुआ है। अतः हमारे कार्य-कलापों का उद्देश्य अग्रलिखित लक्ष्य को प्राप्त करना होना चाहिए।